आधा सच

 लघुकथा


 


वर्मा जी की पुस्तक का विमोचन समारोह चल रहा था। तभी श्रोताओं के बीच बैठी वर्मा जी की पत्नी से उसकी बगल में बैठी सहेली ने कहा --''यार ! तुम्हारे पति की, मंच पर उपस्थित सभी साहित्यकार खूब तारीफ कर रहें हैं। उन्हें एक अच्छा लेखक, और बहुत अच्छा इंसान बता रहें हैं।"


"हूँ ।"

"हूँ क्या ? तू कुछ बोलती क्यों नहीं, क्या ये सच नहीं है ?

"सच है लेकिन आधा।"

"आधा सच ! मैं समझी नहीं ।" सहेली ने आश्चर्य से पूछा।

''वे लेखक बहुत अच्छे हैं , लेकिन इंसान...।"

 

--- राम मूरत 'राही'