1वह जब वापिस घर पर आए, मैंने घत के दीप जलाए, रात हई वह उनके नाम, क्या सखि साजन? ना 'श्रीराम'।
2जितने भी करीब वह आये, तन मन रोमांचित हो जाये, घर में छा जाये खशहाली, क्या सखि साजन? नहीं 'दिवाली'।
3घर में बंदनवार सजाये, और विविध पकवान बनाये, सजा रखी पजा की थाली, क्या सखि साजन? नहीं 'दिवाली'।
4आज रातभर में जागंगी, धन दौलत खशियां मांगगी, उसके सम दाता नहिं दजा, क्या सखि साजन? लछमी पजा'
5उसने कर दी आतिशबाजी, हआ सभी कछ राजी राजी, जगमग हई रात वह काली, क्या सखि साजन? नहीं 'दिवाली। -हरिओम श्रीवास्तव
-हरिओम श्रीवास्तव