पियतम को ले आ गया, दीवाली त्यौहार रूप फलझडी हो गया, मन हो गया अनार कन्दन जसा रूप और, लाल गलाबी गाल देख फिरकनी जल उठी, भली अपनी चाल रॉकेट से सपने उर्ड, मन को नहीं लगाम आतरता इतनी बढी, पीत हई बदनाम दादा जी की डांट थी, या बम की आवाज बच्चों की शैतानियां, भल गयीं परवाज अन्धकार को डांटता, दीपक का उजियार राजमहल और झोपडी, सबमें बांट प्यार