दश्मन

                                                                    दिवालो को तयारियों म इस बार अम्मा हाशिय पर आ गयो ५थो। दोय सजावट स लकर मिठाइ तक, सारो खरोदारो बह आनलाइन कर रही थी घर बठ । _ 'दादो , बाहर कोइ आरत आपको पछ रहो ह, कह रही ह आप दोय लतो ह उसस ।' पात को बात स अम्मा का चहरा खिल गयाअर ह्य हां, रोकना उस ' घटन का दद भलतो अम्मा खडो हो गइ। 'अम्मा अब क्या लना ह ? सब तो ल लिया।' बह को अनदखा कर अम्मा बाहर आ गयो। ' अर रमिया ! कहां रह गयो इस बार ? हर दिवालो दोय तो म तझस हो लतो हं , पता ह ना तझ। और दोय कहा ह?' अधड उम को रमिया स आत्मीयता स मिलतो अम्मा धप्प स छोट मोढ म धस गइ। ___ 'वो अम्मा..' रमिया झिझकत हए साथ आय बट को दखन लगो। "अम्मा जो हम तो बस आपस मिलन आय ह।' अम्मा क पांव छत हए बटा धोर स बोला। 'मतलब?' 'हम कल गांव जा रह ह अपन। वहो कछ काम करग।, दोय सकारो क धध म रोटो क लाल हो गए ह अम्मा।' बट को आवाज म हताशा थी। 'नहो एसा नहीं ह। कितना अच्छा काम ह तरो मा का!' किसी अपन स बिछड जान का डर साफ था अम्मा को आवाज म। 'कहा अम्मा ! बडी दकाना तक का अब कोई ना पछता, हम तो कछ भी नहीं ह। अब तो बस फोन म ऊगला दबाइ आर पा बाजार घर पर हाजिर।' पोछ आ खडो बह क फोन पर उसको जलतो निगाह टिक गई। · अम्मा चलत ह ' रमिया न अम्मा क पर छए। 'अर रुक तो जरा । एस हो खालो हाथ थोडो जायगो त्योहार क दिन। और जो बच खच दिय सकोर घर म पड ह 'अर रुक तो जरा । एस हो खालो हाथ थोडो जायगो त्योहार क दिन। और जो बच खच दिय सकोर घर म पड ह तर , सब ल आ। म खरोद्गो।' 'म' पर खास जोर दत हए अम्मा न मोढ स उठन को कोशिश को पर घटन क दद स वापस मोढ पर धंस गइ। 'क्या जबदस्तो करतो हो आप।' बह पास आ गइ। पहल इस मए फोन को पर फक और मझ हाथ द।' को गस्स स भरो तज आवाज क साथ दो ओर गस्स स भरो खामोश आवाज बहन सन लो। रमिया ओर उसक बट को।