'पर घर को साफ-सफाइ करक बहत थक 'गयो हं, अदिति पहचतो हो होगो, चाय बना लो।' सचित्रा न पति स आगह किया तो मयक जो भो समाचार पत्र को खबर छोडकर चश्म क पोछ स आखा म शरारत भरकर, चिढात हए बोल 'तम तो सोग कटाकर बछडियो म शामिल हो जातो हो। य अदिति कोनसो तम्हारो नइ बटो पदा हो गयो! उसक सामन हो बनाऊंगा, नहीं तो चाय को क्रडिट भो तम हो ल जाआगो मम्मो जो!' और फिर अखबार पढन लग। तोख नन-नक्श, गोर वण वालो अदिति उनको बटो को दोस्त ह। बटो तो एक बार पोस्ट गड्यएशन करन महानगर गयो तो वहीं को हो गयो। वहीं एक बहराष्टीय कपनो म नोकरो भो पकड लो। बीच-बोच म तोजत्योहारों पर जब कभी छट्टो मिलतो ह तो आ जातो ह। इधर अदिति न भी दिल्लो म एक बहराष्टीय साफ्टवयर कपनो जाइन कर लो ह। कालज स कछ डाक्यमटस निकलवान ह इसलिए फिर आ रहो हो अदिति दो दिन क लिए पिछली बार भी आइ थी तो सचित्रा न बटो को तरह हो उसको घमान- फिरान क साथसाथ रहन, खान-पान का खब खयाल रखा था व लपटाप पर उसस कछ इटरनट तकनोको का ज्ञान पाप्त किया था। बटो का खालो कमरा उन्हें अच्छा नहीं लगता। बटो न सो उसको दोस्त हो सहो। आकर रुकतो ह तो अच्छा लगता कपिल ह। रहन क लिए एक भरोसमद घर ह। __ अदिति को मा तोन वष पहल गजर चको हासचित्रा क लाडप्यार-दलार को दखकर उसन बाद म फोन करक अपनो मा जसो अनभति होना बताया तो सचित्रा दवित हो गयो ओर पति स भो य बात गव क साथ साझा को। मयंक जो न भो जिज्ञासावश पछा 'ओर मर बार म क्या विचार थ?' ___ 'तम्ह कल अकल बताया ह।' सचित्रा न पति को पशसा म भो एक टकडा फक दिया तो उन्टेन भी उस चबात हए दम हिलाइ ओर कालर बटन लगाकर इठलाय। 'दखो तम हमशा मरो नजरों पर शक करतो थो न! पर अपन को भी कल अकल को उपाधि स नवाजा गया ह।' मयक जो सोचन लग 'इतनो खबसरत लडको क पति इतन निरपक्ष भाव को हो शायद कल होन को सज्ञा दो गयो हो या पिता जस विश्वास को या खोए-खोए रहन कारण।पता नहीं ! आज भी बटो का रूम,डाइंग रूम,बाथरूम सब साफ-सफ कर दिया गया। मयक जो को भी पिछली बार को तरह हो निदश थ कि 'बरमड़ा ओर बास मारतो बनियान म रहन को बजाय कता-पायजामा पहनना।सभी बनियान वाशिग मशीन म धो दो गइ है। बगल म डियोडरट लगा लना। बालो म तल लगाकर को कर लना। एस हो अधविक्षिप्त स बाहर मत आ जाना। बड आय कल अकल! अगर मरो लगाम न होतो तो इस उपाधि क लायक तो नहीं थ। अपनो छवि बरकरार रखो।' मयक जो न नोटिस किया कि पिछली बार जो अदिति जोन्स टाप म थो इस बार तो वह आत्मविश्वास क साथ शाटस म आ गयो जस घर म उनको बटो पहन लतो ह। पट म थोडा दद था तो मयक जो क माकट जान क लिए बाहर निकलत समय बोलो 'अकल म भो आपक साथ चलतो हं, मझ माकट स कछ लना ह।' मयक जो यह कहत हए टाल गए कि 'मझ एक जगह और जाना ह।' यात्रा क दोरान भी मोबाइल द्वारा पल-पल को खबर रखन सचित्रा न उन्ह पहल हो बता दिया था कि 'उसक लिए यात्रा क दोरान भी मोबाइल द्वारा पल-पल को खबर रखन वालो सचित्रा न उन्ह पहल हो बता दिया था कि 'उसक लिए मस्ट्रअल पड्स लान ह।' रात म जब अदिति बटो क रूम म सो गइ तो सचित्रा न मयक जो स पछा 'एसा नहीं लग रहा जस अपनो श्रया हो सो रहो ह!' मयक जो इस पर असहमत होत हए बोल नहीं, मरो बटो को जगह कोई नहीं ल सकता।उसस तो म लड भो सकता है। पिछली बार ो जब वो आयो थो और उस पकडकर परशान कर रहा था तो उसन धमकात हए का था 'एक लात दंगो न सोन पर तो हाट अटक आ जायगा पापा।' 'बिल्कल सहो का मरो बटो न। इस अ म शोभा दता ह तम्ह एसा करना।'सचित्रा न बटो का पक्ष लत हए ताना दिया। 'अब य शोभा कान आ गयो!' मयक जो न बात को हंसो म उडाया। टन पर विदा होत समय मम्मो जसो ओर बटो जसो आपस म गल मिलो। कल अकल सनो-सनो आखो स दख रह थ तो दोनो हंसन लगो जस इस बिचार क साथ क्या किया जाय? अदिति न फोरन उनस मिलान क लिए हाथ आग बढ़ा दिया जिसको उनको अपक्षा तो नहीं थी पर बटो जसो स हाथ मिलाकर 'हप्पो जनो' किया। अदिति न हसत हए हाथ मिलाकर कहा 'बाय अकल' और टालो बग उठाकर ए.सो.थो टायर क कोच म ओझल हो गयो।
'बाय अकल'
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